Internet (इंटरनेट)
भारत में इंटरनेट का आगमन अभी कुछ ही वर्ष हुआ है। 15 अगस्त 1985 को भारत में विदेश संचार नगर लिमिटेड (VSNL) ने इंटरनेट का प्रारम्भ किया था। उस समय देश के चार महानगरों दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता और चेन्नई को इंटरनेट से जोड़ा गया था। लेकिन अब इंटरनेट से सम्पूर्ण भारत और विश्व जुड़ चुका है। इंटरनेट एक अत्याधुनिक संचार प्रौद्योगिकी है, जिसमें करोड़ों कम्प्यूटर एक नेटवर्क से जुड़े होते हैं। इंटरनेट को मौटे तौर पर कम्प्यूटर के विश्वव्यापी नेटवर्क के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो एक प्रोटोकॉल (सूचना के आदान-प्रदान सम्बन्धी नियम) के जरिये संचार करते हैं। इंटरनेट न तो सॉफ्टवेयर है न कोई प्रोग्राम और न ही कोई हार्डवेयर। यह एक प्रणाली (system) है जिससे विभिन्न कम्प्यूटर आपस में जुड़े होते हैं।
Internet in education (शिक्षा में इंटरनेट)
इंटरनेट विभिन्न तकनीकी के संयुक्त रूप से कार्य का उदाहरण है। इंटरनेट का आधार राष्ट्रीय सूचना इन्फ्रास्ट्रक्चर होता है, यहाँ सम्पर्क लाइनें, कम्प्यूटरों को जोड़ती हैं, जिन्हें Host Computer (होस्ट कम्प्यूटर) कहते हैं। यह विद्यालयों, विश्वविद्यालयों एवं अन्य संस्थानों से जुड़े रहते हैं और इन्हें कम्प्यूटर सर्विस प्रोवाइडर (ISP) कहा जाता है।
इंटरनेट शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ कक्षाओं के लिए श्रेष्ठ तथा अत्याधुनिक शैक्षिक सामग्री की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो रही है। यदि कोई छात्र शिक्षक सर्वश्रेष्ठ लाभ उठाना चाहता है तो साइबर कैफे में जाकर इंटरनेट द्वारा ज्ञान की विविधता प्राप्त करता है और साथ ही साथ भविष्य के बौद्धिक समाज के निर्माण की आधारशिला रखता है।
सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा 21वीं सदी में बौद्धिक, गत्यात्मक तथा युगान्तकारी परिवर्तन हो रहे हैं। नेट प्रत्येक विषय पर ज्ञान का विशाल भण्डार है एवं कम्प्यूटर पर बैठा कोई भी व्यक्ति, किसी भी विषय में सम्बन्धित नवीनतम घटना के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकता है। अधिगम के मार्ग में आने वाले समय एवं स्थान व सामाजिक-आर्थिक बाधाओं को नेट के द्वारा समाप्त किया जा सकता है। नेट में दुनिया के किसी भी हिस्से से वांछित पर नवीनतम सूचना उपलब्ध रहती है। भारत में इग्नू, पिलानी एवं आई. आई. टी. जैसे संस्थानों में इंटरनेट आधारित कार्यक्रम आरम्भ कर दिये गये हैं।
Educational uses of the internet(इंटरनेट के शैक्षिक उपयोग)
इंटरनेट का प्रयोग शिक्षा की दिशा में परिवर्तनकारी कारक के रूप में कार्य कर रहा है। इससे अनेक उपयोग हैं, जो इस प्रकार हैं ।
1. विषयवस्तुओं की विश्वसनीय प्रतियाँ प्राप्त हो जाती हैं।
2. छात्र इससे छपाई की सुविधा तथा दूरस्थ प्रणालियों का स्टोरेज कर सकता है।
3. छात्र एवं शिक्षक दोनों सूचना की प्राप्ति एवं सम्प्रेषण शीघ्रता से कर सकते हैं।
4. शैक्षिक सम्मेलन, शैक्षिक चर्चा एवं गोष्ठियों में अत्यन्त उपयोगी है। 5. आँकड़ों, प्रोग्रामों, प्रणालियों का पारस्परिक आदान-प्रदान सम्भव होता है।
6. इसकी सहायता से ई-मेल आदि की सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। 7. विश्व में हो रहे अनुसन्धान कार्यों की जानकारी प्राप्त हो जाती है।
8. विश्वस्तरीय विषय विशेषज्ञों से विचार-विमर्श एवं विचारों का आदान-प्रदान सम्भव हो सका है।
9. सूचनाओं को भेजने एवं प्राप्त करने का आसान एवं सरल साधन बन गया है 10. दूरवर्ती शिक्षा में इसका व्यापक प्रयोग किया जा रहा है।
11. टेलीकॉन्फ्रेंसिंग प्रभावी ढंग से हो पा रहा है।
12. इंटरनेट के प्रयोग से सम्बन्धित कार्यों में समय एवं धन बचत होती है।